________________ धम्मि- पढ्ययनं बुधैः // 32 // वाहं वैदारिक वेषं / दधानः दमामृदाझ्या / पुष्पापूरितधम्मिलो। धम्मि| लोऽप्यारुरोह तं / / 33 / / वाजी स वाजमव्याज-मारन्य कशया हतः // प्रखरस्वखुरखुमं / तो. णेरप्यस्पृशन् रजः // 34 // त्वरयोत्तेरितां धारा-मधिरूढः स पंचमीं // पश्यतोऽपि जनवातात् / 675 दणाद् दूरीचकार तं // 35 // न स नागो महांगो वा / नाश्वो नाश्वतरश्च सः // यस्तं जेतुमिवा गथी जीतायेलो गरुड पण पुराणपुरुषपासे एटले विष्णुपासे गयो बे. // 31 // यापेल ने कुंकु. मना हाथा जेनापर, तथा उतारेल धारती जेनी एवा ते घोडानी पीठपर चतुर माणसोए प. लाण नाख्यु. // 3 // हवे राजानी झाथी मुसाफरनो वेष धारण करीने तथा पुष्पोथी पोता. नो चोटलो गुंथीने ते धम्मिल ते घोमापर चड्यो. // 33 // पनी चाबुक मारवाथी ते घोडो प्रकटीते वाजमां श्रावीने पोतानी कठोर खरीथी नखडेली पृथ्वीनी रजनो पण स्पर्श नहि करतोय. को, // 34 // ऊमपथी जोरमां यावेली पांचमी धारागतिने प्राप्त थयोथको जोता एवा लोकोना समुहथी ते धम्मिलने दाणवारमां दूर ले गयो. // 35 // एवो कोश हाथी, उंट, घोमो के ख. |चर नहोतो के जे तेने जीतवामाटे दोडता एवा ते घोडानी पाउळ दोमी शके. / / 36 / / समस्त P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust