________________ धाम्म- केनापि मापतेः पर्ष–निषणस्यान्यदा हयः // जुबैरुचैःश्रवोगर्व / खर्वयन् प्राभृतीकृतः // // सार्थ विजितो येन वेगेन / सारंगः सारगाम्यपि // सिषेवे वाहनत्वेन / रंहोऽध्येतुमिवानिलं // // // अनन्यासवशान्मा मा-मेष जैषीत्तुरंगमः // श्तीव पवनो नित्य-गतित्वं प्रत्यपद्यत // 30 // ये६७४ | न खवेगेन जितो गरुत्मा-नपि प्रपन्नः पुरुषं पुराणं // प्रायो धियां धाम नवंति वृथा / इत्याशया बुधिमिव गृहीतं // 31 // दत्तकुंकुमहस्तस्य / कृतनीराजनाविधेः // श्रदीयतार्वतस्तस्य / पृष्टे पजी राजभवनमां जश्ने ते तणे स्त्री सहित हमेशां ते अदय सुख भोगववा लाग्यो. // // 17 // हवे एक दिवसे सन्नामां बेठेला राजाने कोश्क माणसे इंद्रना घोडाना गर्वने पण जीतनारो एक घोडो जंचेप्रकारे नेट को. // 20 // चपल गतिवाळो हरिण पण जेना वेगथी जी. तायोथको जाणे वेगनो यन्यास करवामाटे होय नहि तेम पवननो वाहनरूप थने तेने सेववा लाग्यो. // 20 // अभ्यासविना कदाच मने या घोडो जीती न जाय तो ठीक, एम विचारी. नेज जाणे होय नहि तेम पवने तो नित्यगतिपाणुंज स्वीकार्यु जे. // 30 // प्रायें वृछ मनुष्यो बु. | हिना स्थानसरखा होय , एवी आशाथी जाणे बुधि लेवामाटे होय नहि तेम ते घोडाना वे PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust