________________ धम्मि- वामांगो ऽनुगतोऽनेकसेवकैः // श्रीकरिनिकरपस्त-विश्ववैवस्वतातपः // 23 // वरिषणरुग्धाः | म / भ्रामयन् नामिनीमनः // स संचरन गृहदारं / कमलाया नपेयिवान् // 24 // तज्ज्ञात्वा त्व रितं स्नात्वा / दधाना शुध्वाससी // हस्तात्तवर,गारा / कमला निरगाद्गृहात् // 25 // प्रदक्षिण६७३ | य्य तं नाथं / दत्तार्घा सस्मितानना // हस्तेनालंब्य सा निन्ये / धम्मिलेन निजांतिकं // 16 // , ततः प्राप्तनृपावासो / वधूत्रयसमन्वितः // धनुनक्सततं सौख्य-मसौ दयपराङ्मुखं // 17 // शणगारेला हाथीपर चडीने नगरना लोकोनी शोना जोवामाटे नगरमां नमवा लाग्योः // 2 // कपिला तेने माबे पमखे बेठी , अनेक सेवको तेनी पाउल चाली रह्या , तथा जत्रोना समहथी सूर्यनो सर्व ताप दूर करायेलो . // 23 / / घणा बाजूषणोनी कांतिवाळो तथा स्त्रीनना मनने चलायमान करतोयको ते धम्मिल चालतो चालतो कमलाना घरना द्वारपासे आव्यो..॥ // 24 // ते जाणीने तुरत स्नान करी शुछ वस्रो पहेरीने तथा हाथमां उत्तम कारी लेश्ने कमला घरमांथी बहार आवी. // 25 // परी पोताना स्वामीनी प्रदक्षिणा देने तेणीए हसते चहेरे अर्घ्य दीधुं, त्यारे धम्मिले पण तेणीने हाथ फालीने पोतानीपासे लीधी. // 16 // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust