________________ धम्मिः मन्वाना / कमला शुचमादधौ // 13 // श्रतिचक्राम सा शेषं / निशः क्लेशेन यसा // विरह. व्यथिता बाला / श्रांतः पांथ श्वाध्वनः // 14 // गलदश्रुजलक्विन्न-नयनांजनयोगतः / / मुखमा लिन्यमन्यस्तं / दधाना विललाप सा // 15 // मया नमः सुधाकुंगो / मया दग्धः सुरफुमः / / मया च चूर्णितश्चिंता-मणिर्यत्प्रोषितः पतिः // 16 // यत्प्रसादाधमय न / शिरोदानेऽपि हीयते // पदा पदातिवदहं / हहा नाथ तमस्पृशं // 17 // रुष्टा तुष्टा च जाताहं / स तु तुष्टः सदाभवत् / // 13 // मार्गथी थाकेला पंथीनीपेठे विरहथी दुःखित थयेली ते बालिकाए रात्रिनो बाकीनो जाग घणा क्लेशथी व्यतीत को. // 14 // गलता अश्रुजलथी भींजाएली अांखोमाथी निकल. ता अंजनना संयोगथी शीखेलां मुखमालिन्यने धारण करतीथकी ते विलाप करवा लागी के, // 15 // अरे! में जे पतिर्नु अपमान कर्यु तेथी में अमृतनो कुंन जांगी नाख्यो, कल्पवृक्षाने बाळी मेल्यो, तथा चिंतामणिरत्ननो चूरो करी नाख्यो. // 16 // जेनी कृपाना करजथी मस्तक देतां पण हं बुटुं नहि ते पतिने पण अरेरे! में नोकरनीपेठे पगथी स्पर्श कर्यो ! // 17 // रे तो रोषवाळी पण थ बु, तेम संतोषवाळी पण थ बुं, परंतु ते तो हमेशां मारापर संताप / PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust