________________ धाम्म | दवम्मिलोऽप्येत्य / तत्र देवकुमारवत् // 7 // तदा राजसुतारूढा / नृविमानममानरुक् // वयस्याः सार्थ | हस्तविन्यस्त-वरमालाविनुषणा // // वर्षामान प्रतिहायों-वगणय्य गणं नृणां // वृत्तं प्राग्म नसा वने / धम्मिलं वरमालया // 10 // महा नृपतिः सादी-कृत्य स्वजनममलं // तयोरची करचार-पाणिग्रहमहोत्सवं // 11 // धम्मिले दृढसौहार्दै / भावुकत्वममन्यत // रविसेनः सिता. | दोद -क्षेपं निष्पन्नपायसे // 15 // श्तश्च प्राणितप्राये / गते प्राणप्रिये गृहात् / / सा शून्यमिव वीने देवकुमारनीपेठे शुभ आसनपर बेठो. // 7 // त्यारे ते अति कांतिवाळी राजपुत्री पण मा. सोए जंचकेली पालखीपर बेशीने तथा सखीना हाथमां वरमाला पापीने त्यां यावी. // // पनी प्रतिहारीथी वर्णन कराता माणसोना समुहनी अवगणना करीने प्रथमज मनथी वरेला ते धम्मिलने वरमालाथी ते वरी. // 10 // पनी राजाए स्वजनममलनी सादीए मोटी समृध्यिा ते. जनो मनोहर विवाहमहोत्सव को. // 11 // दृढ मित्राश्वाळा धम्मिलना बनेवीपणाने रविसेन तैयार थयेला दूधपाकमां साकरना मेलापसरखं मानवा लाग्यो. // 15 // हवे घरमांथी पोताना | प्राणसमान नरिना गयावाद ते कमला सघयं शून्यनीपेठे मानतीयकी शोक धरवा लागी // बा.क.सा. कोवा PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust