________________ धम्मि। पर्यणाययतां तेन / महोत्सवपुरस्सरं // 3 // यस्ति तत्र महीगर्तु-स्तनया कपिलानिधा // यस्या / | निर्व्याजमाजन्म / सौहृदं नागदत्तया // 4 // शुश्राव सा वयस्यायाः। पाणिग्रहमहोत्सवं // नारी हृत्तिमिबंधे च / धीवरं धीवरं वरं ( ? ) // 5 // स एव मे वरो नया-यस्या किं च चिंतया // ६६ए। इति सा पितरौ प्रीता / स्वयंवरमयाचत // 6 // ततः पुत्र्यै कृते भृत्यैः / स्वयंवरणमंझपे // दात्रे. ज्यपुत्रानाहूय / नृपो मंचानऋषयत // 7 // अतृप्तः स्त्रीषु यःश्री-ष्विव नृपः शुनासने // न्यषीहवे ते नगरना राजानी कपिला नामे पुत्री ने, के जेणीने नेक जन्मथी ते नागदत्तासाथे नि. एकपटी मित्राने. // 4 // तेणीए पोतानी ते सखीना विवाहनो तथा स्त्रीनना हृदयरूपी मत्स्य ने बांधवामां धीवरसरखा अने नत्तम बुध्विाला एवा तेणीना स्वामीनो वृत्तांत सांजव्यो. // 5 // हवे मारो तेज वर थान ? घणी चिंतानी शी जरुर ? एम विचारीने तेणीए खुशी थश्ने पो. ताना मातपितापासे स्वयंवरनी मागणी करी. // 6 // पनी पुत्रीमाटे राजाए नोकरोमारफते स्वयंवर मंझप रचाव्यो, तथा दात्री बने शाहुकारोना पुत्रोने बोलावीने त्यां खुरशीनने शोभावी. // // 7 // घणां धनथी जेम राजा तेम स्त्री थी तृप्त नहि थयेलो एवो ते धम्मिल पण त्यां या. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust