________________ धम्मि- मैदयत // 4 // तस्याः कोपोऽपि दृष्ट्यास्याः / स्पृहणीयो ममानवत // धनवृष्ट्या निदाघस्य / / की बुकाकुल श्वानिलः // 55 // कमला कुपितेयं च / दर्शिता विधिनैव मे // सिचिसूचक एवा लं / बिद्रपातनपूरणे // 26 // तां सोऽररिसदृक्पा -पुटोद्घटनशालिना / प्रवेश्य चकुरेण / 667 मनोवेश्मन्यवीविशत् / / ए // बाला वायत्यशालाथ / जगौ निर्व्याजगौरखा // त्वं कः पंकजसने जे अनिमेषपणाने प्राप्त थ ते युक्तज. // 3 // कमलाना ते पगर्नु पण घा[ज कल्याण थाज? के जेना संगथी निकळेला एवा मने या कन्या नजरे पमी. ॥ए। // वळी जेम खूथी न. रेलो ननाळानो वायु वरसाद लाववाथी मनगमतो नीवडे , तेम तेणीनो गुस्सों पण थाने जोवाथी मने मनोवांछित थापनारो थयो. // 55 // कमला जो गुस्से थर तो विधाताए मने श्राने देखामी, माटे पडेलां निद्रने सांधवामां सुयो सूचवनारज प्रशंसनीय . // ए६॥ अर्गलासरखी पापणोना उघडवाथी खुल्लां थयेलां चक्कुरूपी दारवडे प्रवेश करीने ते तेणीना मनरूपी मेंदिरमा दाखल थयो. // 7 // हवे उगंग्लापणानी शालासरखी अने निष्कपट गौरववाळी ते बालिका बोली के हे कमलसरखां लोचनवाला तुं कोण गे? तथा क्याथी आवेल गे? // PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. Trust