________________ धम्मि- गृहादथ स निर्ययौ // 5 // नित्यमंतर्बलत्कृष्णा-गुरुवासितदिग्गणं // निशांते सोऽविशत्ति चि-नागौकः श्रीपथांतिके / / 76 / / नागदेवं स वंदित्वा / निविष्टो विष्टरे पुरः // अंतश्चित्तं प्रि. यावृत्तं / यावख्यायन् स तिष्ठति // 7 // ससखीका कनी कापि / तावत्तत्राययौ प्रगे // बोधयंती 665 | स्मरं सुप्तं / यूनां पादांगदखनैः / / // धनागा नागमत्यर्च्य / सा यावद्योजितांजलिः // वरदा हे वरं देहि / वरदेहविगासुरं // 7 // अथ तदीदाणोत्पन्न-पाणिग्रहमहाग्रहः // धम्मिलः प्रा. नवाळी पोतानी जीनने निंदतोथको तथा अंतःकरणमां स्त्रीनी धृष्टताने हसतोयको घरमांथी निकळी गयो. // 5 // हमेशां बळता कृष्णागुरुथी सुगंधी थयेल दिशासमुहवाळा अने राजमार्गः मां रहेला एवा कोश्क नागदेवताना मंदिरमां ते परोढीये दाखल थयो. // 6 // पगे ते नागदेवने वांदीने अगाडी बासनपर बेशीने मनमां स्त्रीन पाचरण चिंतवतोयको जेवामां बेठगे ने तेवामां // 7 // प्रनातमां कांकरना शब्दोथी युवानोना सुतेला कामदेवने उगमतीथकी कोइक कन्या सखीनसहित त्यां यावी. // 1 // ते निष्कपटी कन्या नागने पूजीने हाथ जोडी ए. वी रीते मागवा लागी के हे वरदान आपनारा नागराज! मने तुं उत्तम शरीरथी देदीप्यमान वर ) P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust