________________ धम्मिः रवीजन मे तुला // विषदानिः पयोदेऽपि / जुजंगीनिस्तु सोचिता / / 67 // सा ध्यायंतीति सः | प्राणा / दृग्बाणान विससर्ज तान् // नपर्युपरि विछो यै-धैर्यप्राणान मुमोच सः // 67 / समग्रे सुहृदां वर्गे / खं खं मंदिरमीयुषि // धम्मिलोऽपि निजं धाम / समं तान्याम ऋषयत् // 65 // प्र. दीपसाक्षिकं सायं / कमलां परिणीय च // जे विलासनवनं / नवसंगमरंगवान् // 30 // पूर्व हृदा ततो वाचा / कायेनापि ततस्तयोः // तदानीमंतरं लमं / प्रकृतिप्राणिनोरिख // 11 // अन्योखी नचित . // 67 // एम विचारतीथकी ते प्रेमाळ कमला एवां तो कटादोरूपी बाणो फेंकवा लागी के जेथी उपरानपर वींधायेलो ते धम्मिल पोताना धैर्यरूपी प्राणोने गोडवा लाग्यो. // // 6 // पनी सघळो मित्रवर्ग ज्यारे पोतपोताने घेर गयो, त्यारे धम्मिल पण ते बन्नेसहित पोताने घेर गयो. // 60 // संध्याकाळे दीपकनी सादीए कमलाने परणीने ते नवा संगमना रंग वाचे धम्मिल विलासभुवनमां गयो. // 70 // ते वखते त्यां प्रथम हृदयथी पछी वचनथी तथा पजी कायाथी तेज बनेनो प्रकृति अने प्राणीसरखो संगम थयो. // 71 // परस्पर आलिंगन करवाथी हृदयमांथी सर्व दुःखो नाश पामवाश्री तेजने चार पहोरनी रात्रि पण एक पहोरजेवडीला Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.