________________ धम्मि। लोक्यते // स्वरव्यंजनयोः संधौ / यादृग्लादणिकैः कृतः // 20 // जोजनादनु सर्वेऽपि / स्वां स्वां .: | पत्नीमनर्तयन् // बेमामिवाब्धिकलोलाः / पटहध्वनिधारिणः // 17 // कमलां नर्तयामास / धम्मि लोऽपि सुधीरधीः // मृदंगध्वनिना गर्जन / पर्यन्य श्व केकिनी // 60 // मृदंगरंगदं प्रेक्ष्य / प्रेयां६५ समनुरागिणी // नविष्यत्वमतीतानां / दिनानां कमलैहत // 61 // स्वबंदतालतामूलं / प्रतिकूल गुरुष्वपि // पौनःपौन्येन निंदती / सा खमेवमचिंतयत् / / 62 // वोज्ज्वलगुणवर्ण-पूर्णेऽमु. करणीनए स्वर अने व्यंजननी संधीमां जेवू जोडाण कयु होय तेवो या बने बच्चेनो प्रेमबंध जो. मायेलो देखाय . // 17 // हवे नोजनबाद समुद्रनां मोजांन जेम होडीने तेम तेन सघला मृदंग बजावताथका पोतपोतानी स्त्रीने नचाववा लाग्या. // 27 // पछी मेघ जेम मयूरीने तेम मृदंगना अवाजथी गर्जना करता ते बुद्धिवान धम्मिले पण कमलाने नचावी. // 60 // ते वखते मृदंगनो ताल देता एवा पोताना प्रियतमने जोश्ने अनुरागवाळी थयेली कमला गयेला दिव. सोनो भविष्यकाळ श्वा लागी. // 61 // स्वबंदीपणारूपी लताना मूळसरखा तथा वडीलोपते पण प्रतिकूल एवा पोताना यात्माने फरीफरीने निंदती एवी ते कमला विचारखा लागी के.॥ P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust HA