________________ धम्म- स्मिन् / व्यक्तमौक्तिकतारकाः // 13 // शनावसरे श्रांतान् / सखीन मंम्पमीयुषः // अबू भुजत्स | माल जानि-निजाञ् जनितगौरवः // 24 // ते स्वादुजांजि भुंजाना / नाना भैदयाणि मेनिरे / बुधान मुधा सुधास्वाद-सादरानपरानपि // 55 // मुग्धया स्निग्धया सार्धे / विदग्धं प्रियया सह 650 पम्पिलं प्रेदश मूर्खानं / धुन्वन् दध्यौ धरेशनः // 26 // वधूवैधुर्यमस्यापि / यदगद्यत कदैः | // ताने सुजनस्यापि / खलाः स्खलितकांदिणः // 27 // अनयोस्तादृशः प्रेम-बंधः श्लिष्टो वि डने पण जीतनारो एक मंडप बनाव्यो, के जेमां मोतीनरूपी तारानेवाळा अनेक चंडवा शोजता हता. // 53 // हवे थाकेला ते पोताना मित्रो गोजनसमये ज्यारे ते मंझपमां श्राव्या त्यारे ते राजकुमारे यादरमानपूर्वक तेनने जमाड्या. // 14 // ते त्यां नानाप्रकारनां स्वादिष्ट भोजन जमताथका अमृतना स्वादमां श्रादरवाळा बीजा देवोने पण तुब मानवा लाग्या. // 55 // मुग्य तथा स्नेहवाळी स्त्रीनी साथे रहेला ते चतुर धम्मिलने जोश्ने ते राजपुत्र मस्तक धुणावतोयको विचारखा लाग्यो के, // 56 // चुगलखोरोए या धम्मिलनी स्त्री- पण जे विधुरपणुं मने जणा| व्यु जे, तेथी हुँ धारु बु के उर्जनो सऊनोनुं पण बुरुं करवानी श्डावाळा होय . // 27 // व्या P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust