________________ धम्मि- याप्रेम-पाशैवि परिस्कृतः // 4 // कमलाविमलालीढ–मारुह्म रथमश्लथं // जगामाराममात- | | न्वन् / स लोकनयनोत्सवं // 45 // तदा तदाययुः खंड-मखमयुतिमंमलाः // कुमाराः सस्त्रि योऽन्येऽपि / सरतिस्मरवित्रमाः // 20 // सह भृत्यगणैः स्वैर-मैरावत व हिपैः // अलंचके वनं 657 | केलि-जाजनं राजनंदनः // 51 / / समं मित्रैः कुमारेण / पुष्पाव वयनादिकाः // नरेणारेनिरे त. व / का न काननकेलयः // 55 // तद्भूत्यैर्मडपस्तत्रा-सूत्रि ब्रह्मांमजित्वरः / / नकचंद्रोदया य. वडे करीने होय नहि तेम पुष्पमालानथी विऋषित थयेलो, // 4 // एवो ते धम्मिल कमला अने विमलाथी युक्त थयेला वेगवान रयपर बेशीने लोकोनी अांखोने यानंद उपजावतोयको बगीचामां गयो. // 45 // ते वखते अविजिन्न कांतिमंगलवाळा तथा रतिसहित कामदेवनो ब्रम नपजावनारा बीजा कुमारो पण पोतपोतानी स्त्री सहित ते बगीचामां आव्या. // 50 // पी बीजा हाथीन सहित जेम ऐरावत तेम नोकरोना समुहसहित ते राजकुमार पण पोतानी मेळेज ते क्रीमा करवालायक वनमां व्यो. // 51 // त्यां ते राजकुमारे पोताना मित्रोसहित यानंद| थी पुष्पो वीणवां यादिक कश् कश् वनक्रीडा न करी ? // 55 // वळी त्यां तेना नोकरोए ब्रह्मां / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jurr Gun Aaradhak Trust