________________ धाम्म- सवोपमः // 10 // पौरैः सह महीनाथे / सायं याते पुरांतरा // यावन्निजगृहं गंतुं / रथी रयमसः | साथ ज्जयत् // 11 // तावदांदोलनासक्ता / माधवीवल्लिमंडपे // पस्पृशे कामुकेनेव / श्यामा काकोदरा '| हिना // 12 // अनिबंतीव सा पाणि-पंकजे परिधुन्वती // पपात पत्युरुत्संगे / रद रक्षेति ना. 436 | पिणी // 13 // परिरज्य स तां बाढं / मा भैस्तन्वि वदन्निति // प्रेषीनिज परीवार-मातुरं मातुरं. | तिके // 14 // वायुनास्य विषावेशो / मार्गे मास्म भृशायत // इति संनिहिते देव-कुले बालां मरजीमुजब नमवा लाग्या. / / ए // हवे ते इंडसरखा अगलदत्ते पण स्त्रीसहित विविध क्रीडापू. र्वक वननी अंदर दिवस व्यतीत कर्यो. // 10 // पठी संध्याकाळे नगरना लोकोसहित राजा ज्यारे नगरमां गयो त्यारे अगलदत्त पण जेवो घेर जवामाटे रथ तैयार करे , // 11 // तेवामां मा. धवीलताना मंडपमां हींचोन खाती श्यामदत्ताने कामुकनीपेठे सर्प मंख मार्यो. // 12 // त्यारे जाणे श्वती न होय नहि तेम पोताना हस्तकमलने कंपावतीथकी मने बचावो बचावो एम बो. लीने ते पोताना खामिना खोळामां पडी. // 13 // त्यारे अगलदत्त तेणीने खूब नेटीने बोल्यो | के हे तन्वि! तुं डर नहि, एम कहीने पोताना उःखी परिवारने तेणे पोतानी मातापासे मोकली। PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust