________________ धाम्म- ति कालेन / कालेन फलंति कुमः // काले सेवा वणिजोऽपि / सद्यः फलति सत्कला // 1 // - | मा पादाप्ताऽविसंवादि-प्रसादः सादरप्रियः // यातोऽपि दिवसान देवो / दिवीव न विवेद सः॥२॥ . हुमान् दवामिना दग्धा-नपि पल्लवयन वने // प्रावर्तत वसंतर्तु-मनोभूमित्रमन्यदा // 3 // 435 | चिक्रीडिषो वनको / प्राप्ते सांतःपुरे नृपे // न ययुन गराः के के / देवाः केलिप्रिया च // 4 // ययावगलदत्तोऽपि / सहितः श्यामदत्तया // नाग्यनागिति सानंद-मीदयमाणः पुरीजनैः // फळे , वृक्ष पण समये फले ने, अने वणिकनी सेवा पण अवसरे फलेने, परंत नत्तम कला तरत फलेने.॥१॥ राजा तरफथी थयेली विघ्नरहित कृपाथी तथा यादवाळी स्त्री मलवाथी ते अगलदत्त देवलोकमां रहेला देवनीपेठे जता दिवसोने पण न जाणवा लाग्यो. // // .. . हवे एक वखते त्यां वनमां दावानलथी बळेलां वृदोने पण नवपल्लव करनारी अने कामदेवना मित्रसरखी वसंत ऋतु यावी. // 3 // ते वखते क्रीडा करवानी बाथी जनानासहित रा. जा ज्यारे वनमां गयो त्यारे क्रीमामां प्रीतिवाळा देवोनीपेठे कया कया नगरना लोको पण त्यां | न गया ? // 4 // अहो! था केवो जाग्यशाली ! एम नगरना लोकोवडे यानंदथी जोवातो P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust