________________ 433 | धम्मि-घं वजन्नेष / चिरान्मिलितुमागतं // व्याहारैरमृताहारै-रिवारंजयदंजसा // ए६ // परेधुरात्तालंका. रः। स्वल्पसारपरिबदः॥ सोपदः संसदासीनं / स ननाम नरेश्वरं / / ए // गुणानामिव वासौको / युवासौ को निगद्यतां / / राज्ञेत्युक्ता जगुगौर-मुखनासः सनासदः // 7 // खामिन्नगलदत्ता| ख्यः / सूनुस्त्वत्सारथेरयं // दूरादात्तकलः प्राप्त-भांमो वणिगिवागतः / / एए // पृथ्वीपतिस्थ प्री. तः / पत्तेस्तस्मै पदं ददौ // द्विगुणं तुष्टिदानं च / कः कलासु न रज्यति // 2000 // कृषिः फल श्रावेला पोताना सगांजने जेटीने तेणे अमृतनोजनसरखा पोताना वृत्तांतथी खुशी को. // // ए६ // पजी बीजे दिवसे ते आभूषणो पहेरीने स्वल्प परिवारसहित नेटणासाथे सनामां बेठे. ला राजाने नम्यो. // ए // कहो के गुणोना निवासस्थानसरखो वळी या युवान कोण ? ए. म राजाए कहेवाथी मुखनी श्वेत कांतिवाला सनासदो बोल्या के // // हे स्वामी! यापना सारथिनोया अगलदत्त नामनो पुत्र बे, अने ते धन कमायेला वणिकनीपेठे दूरदेशथी कलान मेळवीने यहीं श्रावेलो . // एए // त्यारे राजाए खुशी थश्ने तेने जमादारनी पदवी पापी. तथा बम तुष्टिदान प्राप्युं, केमके कलाथी कोण खुश यतुं नथी? // 2000 // खेती काले P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust