________________ 43 धम्मि- मायातममाया त-मवगम्य यशोमती // अन्यागाहार्डिवेलेव / सुधाकरमुदित्वरं // 1 // वमंतीमथुः / मार्ग दंभेन / सुखं पुत्रवियोगजं // मातरं जातरंगोऽय-मनमच्चरणौ स्पृशन् // ए // समुबाय तमा शीनि-रानंद्यालिंग्य सा चिरं // शिरस्याघ्राय सस्नेहं / गेहस्यांतस्वीविशत् / / ए३ // श्यामापि स्यं. दनोत्तीर्णा / श्वश्रूपादाववंदत // सास्यै चुदव समं जा / सुखमाशिषमित्यदात् // ए४ // वैदेशिकं व्यतिकरं / पृचंत्या मातुरादरात् // श्रवः कुंडे निजं वृत्त / सुवापूरयतिस्म सः // 55 // वजनौ जेम समुद्रनी वेळा तेम तेनी सामे यावी. // 1 // यांसुना मिषयी पुत्रना वियोगयी थ. येला दुःखने वमती एवी पोतानी ते. माताना चरणोने स्पर्श करतोथको ते अगदत्त हर्षथी ते. णीने नम्यो. // 7 // सारे ते यशोमतीए तेने जठामीने, याशीर्वचनोथी खुश करीने. तथा खूब नेटीने, अने स्नेहपूर्वक तेनुं मस्तक सुंघीने घरमा प्रवेश कराव्यो. // 23 // पनी ते श्यामदत्ता पण रथमांथी उतरीने सासुने पगे पडी, त्यारे तेणीए पण आशीष आपी के तुं तारा न. रिसाथे सुख नोगव? | ए // पनी विदेशसंबंधी वृत्तांत माताए पूछवाथी तेणे श्रादरपूर्वक पो. ताना वृत्तांतरूपी अमृतथी तेणीनो कर्णरूपी कुंम जरी दीघो. // 55 // पनी घणे काळे मलवा | P.P.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust