________________ धम्मि- कांतारसंगतः प्राणी / प्राणैरपि विमुच्यते // निःकृपस्मरबुंटाक-विद्युप्ताखिलधीधनः // 7 // वदः / तोऽस्येति निर्वाणाः / प्राणा निःस्नेहदीपवत् // चौराश्चादृश्यतां जग्मु-स्तस्यांशव श्व स्वयं // 7 // एवं भुजबलेनाप-बहरीः समतीत्य सः // सुखेन प्रांतरप्रांत-माप पारमिवोदधेः / / नए // मार्गशे. षमतिक्रम्य / गतोवंती पुरी रथी / प्रियाया दर्शयन् पौरों / श्रियमागात् खमंदिरं // 50 // स. | अने चंचो एवो पण पुरुषरूपी हाथी कुतरानीपेठे बंधनसरखी स्त्रीनंथी बंधा जाय . // 6 // स्त्रीना रसमां लीन थयेलो (अरण्यमां गयेलो) प्राणी निर्दय कामदेवरूपी बुंटाराथी सघबुं बु. छिरूपी धन खुटार जवाथी प्राणोथी पण रहित थाय . // 7 // एम बोलतांथकांज तेलविनाना दीवानीपेठे तेना प्राणो नष्ट थया, अने तेना नागोनीपेठे चोरो पण सघळा पोतानी मेळेज अदृश्य थ गया. // 7 // एवी रीते पोताना गुजावलथी दुःखरूपी मोजांने संगीने समु. उना किनारानीपेठे सुखेथी ते विकट अटवीनो पार पाम्यो. // ए // पनी ते बाकीनो मार्ग में. लंगीने अवंती नगरीमां पहोंच्यो, तथा त्यां पोतानी प्रियाने शहेरनी शोना देखामतोयको ते पो. | ताने घेर याव्यो. // ए०॥ तेने यावेलो जाणीने कपटविनानी यशोमती जगता चंद्रनी सामे / Jun Gun Aaradhak Trust. P.P.AC. Gunratnasuri M.S.