________________ - धम्मि- अन्यचित्तं परिझाय / बाणेनारामुखेन तं // रथिको हदि विव्याध / स्पईयेव मनोनुवः // 7 // माई स ततः पतितः -पृथ्व्यां / शीर्णस्कंध व हुमः // जितं मयेति माद्यंत-मुवाच रथिकांगजं // 3 // मा प्राप्सीः शूर यच्चौर-सेनानीनिहतो मया // हतोऽहं स्मरवीरेण / पूर्व पश्चात्त्वया पुनः // 4 // 430 विधिना वंचितः सोऽहं / यदायोधनसंकटे // सितायामिव शुक्लांत-दयितायां मनो न्यथां // 75 / / मदाब्यो रिपद्मोऽपि / प्रकटोप्युन्नतोऽपि च // वारीनिखि नारीनिः / पुंनागः श्वेव बध्यते // 6 // म पांदडां तेम तेणीने जोतांज तेना हाथमांथी शस्त्रो पडी गयां. // 1 // एवी रीते तेने अ. न्यचित्तवाळो जाणीने कामदेवनी स्पर्धाथी जेम तेम अगलदत्ते अणीदार बाणथी तेने हृदयमां वांधी नाख्यो, // 2 // अने तेथी ते सडेला थडवाला वृदनीपेठे पृथ्वीपर पड्यो, पजी में प्रा. ने जीत्यो एम गर्व करता ते अगलदत्तने अर्जुने कडं के, // 3 // हे शूरवीर! तुं गर्व नहि क रजे के में चोरोना सेनापतिने मार्यो , केमके प्रथम तो मने कामदेवरूपी सुनटे मार्यो सेय. ने तें तो त्यारपती मार्यो . // 4 // वळी मने तो कर्मेज उग्यो , केमके समाश्ना संकटवख| ते पण में साकरनीपेठे स्त्रीमा मन जोडयु. // 5 // मदथी नरेलो, घणी लक्ष्मीवाळो, प्रसिक P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust