________________ सार्थ धम्मि- छमानौ युधमानौ / खजाखजिशराशरी // विदधाते किरातेषु / चिरं तौ नयनोत्सवं // 7 // शत्यसाध्यं रिपुं मत्वा / विजिगीषुश्ब्लेन तं // धीमान्निवेशयामास / श्यामामग्रे रथे रयी / / 7 // जूरिऋषणदीप्तांगी-मदिनंगविलासिनीं // श्लथीकृतोपसंव्यानां / लावण्यरसवाहिनीं // 7 // चिरं ४२ए चरटचक्री तां / ग्रामीण व नागरी / / मुक्त्वा समरसंरंभ / स्फारितादो निरैदत // 70 // युग्मं // | तया विदितयाऽज्रस्य-नस्य शस्त्राणि पाणितः // दलान्युदितयेव -शाखतः शिशिरश्रिया // 1 // | ने वरवं? एम जयलक्ष्मी संशयमां पडी गश्. // 76 / / वधी वधीने तलवारथी तथा बाणोथी यह करता एवा तेज बन्ने घणा काळसुधी निलोनी अांखोने आनंद पापवा लाग्या. // 9 // . हवे शत्रुने बळथी जीतवो अशक्य जाणीने तेने ग्लथी जीतवानी श्वावाळा ते बुध्विान अगलदत्ते रथमां श्यामदत्ताने अगामी बेसामी. // 7 // घणां बाभुषणोथी देदीप्यमान शरीवाळी, कटादोना विलासवाळी, ढीली करेली साडीवाळी तथा लावण्यरूपी रसनी नदीसरखी एवी तेणीने जोइने // 7 // गामडीयो जेम नगरनी स्त्रीने तेम ते चोरोनो सरदार रणसंग्रामनो संरंभ त. | जीने एकीनजरे तेणीनेज जोवा लाग्यो. ॥०पनी शिशिरकतु याववाथी वृदानीमाळीमांथी जे Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasun M.S.