________________ धम्मि- किरातास्तबरापाता-दीवः प्रपलायिताः॥ धनलाजार्थिनस्ते हि / न पुनर्निधनार्थिनः // 7 // माई अथाविरनवच्चौर-सेनानीर्जुनानिधः // वैरिनिनिदे सिंह-समः समरकौतुकी // 73 // नश्यतः स निजान सैन्यान् / संग्रामायोदसाहयत // नाट्याय जरताचार्य / श्व रंगच्युतान्नटान् // 14 // र. णरागात्तमन्यागा-हीरोऽसौ सोऽप्यमुं ततः // व्यधत्तां इंद्वयुद्धं तौ / हरिप्रतिहरी च // 15 // वंचनात्परघाताना-मन्योऽन्यं प्रजिहीर्षतो // तयोर्जयश्रिया चक्रे / कं वृणोमीति संशयः॥ 76 // थी पलायन करी गया, केमके तेज धन लेवानी बावाला हता, कई मरण पामवानी जावा. सा नहोता. // 7 // एवामां वैरीजरूपी हाथीनने मारवामां सिंहसरखो बने लडवानो कौतकी एवो अर्जुन नामनो चोरनो सेनापति त्यां प्रगट थयो. // 73 // निरुत्साही थयेला नटोने नाट. कमाटे जेम सूत्रधार तेम ते पोताना नाशता सुनटोने संग्राममाटे नत्साहित करवा लाग्यो. // // 4 // लडवाना रसथी ते शूरवीर अगलदत्त तेनी सामे याव्यो, घने ते बर्जुन पण तेनी सन्मुख श्राव्यो, पनी तेन बन्ने वासुदेव तथा प्रतिवासुदेवनीपेठे इंयुक करवा लाग्या. // 7 // | परनो घा बटकावीने एकबीजाने मारवानी श्वावला तेज बनेने जोश्ने या बन्नेमांधी मारे को. ' P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust