________________ 426 धम्मि- जिहाग्रं / ज्वलदाताम्रलोचनं // पुष्टीकृतरवं ग्राव-गुहाभ्यः प्रतिशब्दितैः // 6 // प्रस्फुरत्केसरा टोपं / सोऽपश्यद् दीपिनं पुरः // दंडप्रचंमलांगूलं / दैतीयिकमिवांतकं // 63 // युग्मं // वीरस्तू | पीरतां नीत्वा / तस्यास्य पंचभिः शरैः // सुचरं स चिरं चक्रे / मार्गमारण्यकांगिनां // 64 // का | मन्नयाटवी श्यामा निःस्नेहस्फटितत्वचः // तुमुलोत्तालवदना-नीलनेपथ्यधारिणः // 65 / / पृष्टतं बतूणीरान् / कराकुंचितकार्मुकान // शैलादुत्तरतो निदान / निरैदत स लदाशः // 66 // युग्मं वडे पुष्ट थता शब्दोवाळा, // 6 // फरकती केशवाळीना यावरवाल तथा दंडसरखा जयंकर घुबडांवाला बीजा यमसरखा ते सिंहने तेणे जोयो. // 63 // त्यारे ते शूरवीर अगलदत्ते पांच बा. पोवडे तेना मुखने नाथांसरखं बनावीने जंगलना प्राणीनमाटे घणा काळसुधी ते मार्ग सगम करी दीघो. // 64 // पनी ते अटवीमां बागळ चालतां तेणे श्याम रंगना, कठोर अने फाटेली चामडीवाला, कोलाहलयुक्त मुखवाला, श्याम वस्त्र पहेरनारा, / / 62 / / पाबळ बांधेल नाथांवाला तथा हाथथी खेंचेल कामठांवाला एवा लाखोगमे निलोने तेणे पर्वतपरथी नतरता जोया.॥६६॥ | पनी पतंगीयांज जेम दीपकने तेम तेजना एक स्थानसरखा ते अगलदत्तने पोताना पदथी गर्व PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust