________________ धम्मि- गिरिशृंग व ब्रष्टे / कुंजरे घातजर्जरे // श्यामदत्तावदत्तारं / जय वीरवृतिन्निति // 27 // अ. म थो पुरश्चरन् सर्प-मन्यायांतमवैदत // फणबलाध्धृतबत्र-मिव हिंस्रेषु जंतुषु // 27 // महोदरो मनोहत्य / पीत्वा यः पवनं वने // तनोतिस्म तदुजारान् / स्फारफुत्कारदंनतः // 60 // अर्धचंड 425 | शरेणास्य / बुलाव फणमंडलं / / योधाधिपो वधूवेणी-स्पईयेवापराधिनः / / 61 // लोखोलालित // 27 // अने तेथी घायल थयेलो हाथी ज्यारे पर्वतना शिखरनीपेठे नीचे त्रुटी पड्यो त्यारे श्यामदत्ता मोटेथी बोली के हे वीरवती! तुं जय पाम ? // 27 // पनी यागळ चालतां तेणे फ णाना मिषयी हिंसक प्राणि-मां जाणे त्र धारण कर्यु होय नहि एवा एक सर्पने तेणे सामो यावतो जोयो. // 27 // ते सर्प बेक कंठसुधी वननो पवन पीने मोटा नदरवाळो थयोथको ज. बरा फुफाडाना मिषधी तेना उद्गारो कहाडवा लाग्यो. // 60 // त्यारे ते वीरशिरोमणिए (पो. तानी) स्त्रीना चोटलानी स्पर्धा करवाथी जाणे अपराधी थयो होय नहि एवा ते सर्पनी फणा अर्धचंडाकार बाणथी कापी नाखी. // 61 // पनी बागल चालतां चपल अने लपलपायमान जि. ह्वाना अग्र नागवाळा, तपावेलां त्रांबांसरखी अांखोवाळा, पर्वतनी गुफामांथी निकलता पदया. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.