________________ धम्मि- बलाद् बलाहकेनेव / तरु स्तरवारिणा // 30 // ततो जम श्व स्तंभो / नमो ब्रष्टोऽज्यवर्त सः // चौरोऽस्मि धनपुंजोऽहं / धनपुंजार्जनोर्जितः // 31 // योऽहं जिग्ये पुरा शूरैः / केसरीव न कैश्च नं // त्वं तु तं कृतउष्टाप-दष्टापद श्वाजयः // 32 // किंचास्मात्पर्वतादाक् / परतः सरितः पुनः 415 // चौराणां तीर्थवद्देव-कुलमस्त्येकमुन्नतं // 33 // पृष्टतस्तिष्टतस्तस्य / शिला दृक्पथमेति या // विवरं दृश्यते घोरं / रयादुध्धृतया तया // 34 // तदंतः संति मे दारा / स्फाराश्च धनकोटयः / / दने तोमी पाडे तेम अगलदत्ते तेने आवतोयकोज तलवारथी कापी नाख्यो. // 30 // त्यारे जांगेला स्तंगनीपेठे पृथ्वीपर पडेलो ते तापस बोल्यो के, हुं धननो समुह मेलववामां तैयार थ. येलो धनपुंज नामे चोर ई. // 31 // पूर्व केसरी सिंहनीपेठे हुँ को पण शूरवीरोथी जीतायो नथी, अने करेल ने दुष्टोने दुःख जेणे एवा तें तो मने अष्टापदनीपेठे जीयो . // 32 // व. ली या पर्वतनी पाछळ नदीने पहेले पार चोरोना तीर्थसरवू एक -चुं देवमंदिर . // 33 // ते. नी पाजळ नन्नतां जे शिला नजरे पडे तेने खेसर्ववाथी त्यां एक भोयरुं देखाशे. // 34 // तेमां | मारी स्त्री अने क्रोमोगमे मनोहर धन दे, ते सघर्बु मधमाखोए एकळं करेबु मध जेम वाघ तेम PP.Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. Trust