________________ साथ धम्मि- देवेनेति वाक्तापसस्तैदा // 25 // पूर्व दध्योदनावाद - सादरत्वेन तेऽखिलाः // शिरांसि / / यामासु-विषस्यावेशतस्ततः // 26 // लिंगिना जुक्तवंतस्ते / शाखिबायासु शायिताः॥ दाणात प्राणबिदं मूर्ग / प्रमीलामिव लेनिरे / / 57 // जस्माधारादथाकृष्य / कृपाणं निःकृपोऽबुनात्॥ यो. 417 | गी युगंधरीशीर्ष-लावं तेषां शिरांसि सः // 20 // करात्तरुधिरा सि-दंडः स रथिनंप्रति // अ. धावतोर्ध्वलांगूलो / जलूक व जीषण // 2 // बागबन रथिकेनायं / निहतस्तरवारिणा // सं तेनने पीरसवा लाग्यो. // 25 // प्रथम तो दहींजातना खादमां रंस लागवाथी तेन सघन (खुशी थश्ने) पोतानां मस्तको धुणाववा लाग्या, तथा पली फेर चम्वाथी तेन तेम करवा लाग्या. // 26 // जोजनबाद तापसे तेजने वृदानी गयामां सुवाड्या, तथा कणवारमां तो तेनं प्राणोने नाश करनारी प्रमीलासरखी मूर्ग पाम्या. // 27 // परी तें निर्दय तापसे कोलीमाथी त. लवार कहामीने तेथी जुवारना हुंमांनी कापणीनी पेठे ते नां मस्तको कापी नाख्यां. // 2 // पनी रुधिरथी खरमायेली तलवार हाथमां लेश्ने ते तापस जंची करेली पंडीवाळा संजनीते नयंकर थयोथको अगलदत्तपते दोड्यो. // श्ए / परी दुस्तर जलवाळो वरसाद जेम एकदम वे P.P.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust