________________ धम्मि थिकांगजः // 21 // अद्यास्त्यजीर्णदोषो मे / मा जुग्ध्वं यूयमप्यहो / परिवार जन्मराशिस्थ-। मा शौरिक्रूरोऽयमीयतां // 25 // मलिनानां मृदो वाचो / विश्वसेन्न कदाचन // दत्ते वृश्चिकवदंश / मधुपो मधुरध्वनिः // 13 // श्युक्तं रथिना व्यक्तं / नास्मार्पुस्ते बुभुदिताः // जैनें5 शासनं का. 417 म-रागार्ता व देहिनः / / 24 // जोक्तुं पंक्त्या निषसाना-मथैषां पर्यवेषयत् / / हा रथी वंचितो ते व्यवहारकुशल लोकोए. मार्गमां थयेली प्रीतिने लीधे रथमां सुतेला अगलदत्तने नोजनमाटे आमंत्रण कर्याथी ते स्पष्ट रीते बोल्यो के, / / 21 / / मने तो बाजे अजीर्ण थयुं बे, अने तमो पण (आ तापसे लावेलु ) भोजन जमशो नहि, केमके या तापसने तमारे जन्मराशिमां रहे. ला शनिसरखो क्रूर जाणवो. // // नीच माणसोनां मीठां वचनोपर कदापि विश्वास करवोन. लि. केमके मधुर शब्द करनारो जमरो शुं वीबुनीपेठे मंख थापतो नथी ? // 23 // एवी सेते अगलदत्ते प्रगट कह्या जतां पण कामातुर लोको जेम जिनेऽशासनने तेम ते दुधातुर लोकोए तेने कडेवं कइंगणकार्यु नहि. // 24 // पड़ी तेन सघला नोजनमाटे जेवामां ढारबंध बेशी गया तेवामां अरे! या रथवानने (अगलदत्तने ) तो कर्मेज उग्योने, एम कहेतोथको ते ताप ) Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac Gunratnasuri M.S. .