________________ धाम्य // 16 // प्रयागंप्रति पुण्यार्थी / पुराऽवतीपुराद् व्रजन् // ग्रामेऽत्र लोकहर्षाय / वर्षावास व्यधामहं माई // 17 // चिरं परिचिता जक्ता / नक्तमापत्त्रमत्र मे // ग्राम्या दास्यति तेनातः / नोजयिष्यामि वः सुखं // 10 // इत्युक्त्वा. ग्राममध्यं स / जगध्ध्वंसनधीर्गतः // विषसंपृक्तनक्तेन / क्रूरः पात्राण्य- 416 पूरयत् // 15 // शिरसा सरसाहार–पूर्णपात्राएयुदस्य सः // सार्थमध्यमितो नोक्तुं / सार्थिकांनु| दतिष्टपत // 20 // तैरीतिझैः पथि प्रीति-वशतः शयिता रथे / भोक्तुमामंत्रितः स्पष्ट-माचष्ट र. उमाटे दूधदहींना निश्चल सदाव्रतसरखं जे. // 16 // अमान पुण्यमाटे हुं अवंती नगरीथी ज्या. रे प्रयाग जतो हतो, त्यारे था गामना लोकोने खुशी करवामाटे में यहीं चतुर्मास कर्यु हतु.॥ // 17 // तेथी मारा घणा काळना परिचयवाळा अने भक्त एवा था गामना लोको मने यहीं क्षुधानी वेदनाथी रक्षण करनारं गोजन थापशे, अने ते जोजनथी हुँ तमोने सखे जमा. मीश. // 10 // एम कहीने जगतने माखानी बुद्धिवालो ते तापस गामनी अंदर गयो, अने त्यां ते दुष्टे फेरयुक्त नोजनवाळां पात्रो गर्या. // 15 // पनी ते रसयुक्त नोजनथी नरेलां पात्रो म. | स्तके जंचकीने सार्थमां भावीने चोजनमाटे सार्थना लोकोने नठाडवा लाग्यो. // 20 // त्यारे P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust