________________ 415 धम्मि- // विश्वासो मे तृणबन्न-कूपस्येवास्य नोचिंतः // 15 // समर्थः सार्थमादाय / बुधः सज्जीकृतायु. धः // स यसीमलंघिष्ट / भुवं दिवमिवार्यमा // 13 // मध्यंदिने दिनाधीश-तापास्तेि मृगा श्व | // पांथाः पुरः सरित्तीर-तरुबायाः सिषेविरे // 14 // तापसः पथिकानूचे / नवद्भिर्मयि सकपैः / / नाद्य पाकक्लमः कार्यो / विवाहामंत्रितखि // 15 // .. . . अस्ति नद्यास्तटेऽमुष्या / गोमहिष्यादिसंकुलः // ग्रामोऽध्वचारिणां दुग्ध-दधिसत्र व ध्रुवः बवायेला कुंवानीपेठे मारे या तापसनो विश्वास करखो उचित नथी. // 12 // पड़ी ते समर्थत. था हुशियार अगलदत्त हथियारों सऊ करीने ते सार्थने लेश्ने सूर्य जेम आकाशने तेम घणी भूमीने नलंगी गयो. // 13 // हवे मध्याह्न काळे सूर्यना तापथी खेद पामेला ते पंथीन हरिः णोनीपेठे पागळ आवेली एक नदीने किनारे वृदनी गयामां बेग. // 14 // त्यारे ते तापसे तेथिनने कीधुं के आज तो मारापर महेरबानी करीने जाणे तमो विवाहमां नोतरेला हो न. हितेम तमारे रसोइ करवानी तकलीफ उठाववी नहि. // 15 // . मके या नदीने किनारे गायो भने भेसोथी गरे एक गाम , के जे गाम वटेमार्ग P.P.AC.Gunratnasuri M.S, Jun Gun Aaradhak Trust