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________________ धाम्म- // एG // तो पुनः प्रोचतुर्विश्व-मान्य यद्यनुमन्यसे // यूथेशं यूथवत्तत्त्वां / सार्थोऽयमनुगबति / / मा // एए // कुंनी गंजीरवेदी दृ-ग्विषोऽहि:प्यकं पुनः॥ अर्जुनश्चौरसेनानी-रेते दुष्टा हा ध्वनि // 1500 // रथिके पथी नामीज्यो / नेतव्यं मयि रदके // इत्युदित्वा विसृष्टौ तौ / स्वयू. 415 थेन्यस्तदुचतुः॥१॥ ततस्ते सकलाः प्रीति-कलाः कलकलाकुलाः // यावत्प्रतस्थिरे ताव-दु. | चे कोऽप्येत्य तापसः // 2 // श्राधः सिप्रासरिहारि-वारिताखिलकल्मषां // पुरीमुज्जयिनी गंत / क्यां जवानो ने? त्यारे अगलदत्ते कह्यु के हुँ कोशांचीथी बाबु बु तथा उज्जयिनी जवानो वं. // ए // त्यारे वळी तेनए कह्यु के हे जगतमान्य! जो तुं कबुल करे तो संघपतिनी पाल जेम संघ तेम आ सघलो सार्थ तारी पाबल चाले. // ए // केमके या मार्गमां गंजीरवेदी हा. थी, दृष्टिविष सर्प, वाघ, तथा अर्जुन नामनो बुटाराननो सरदार, एटला विघ्न करनारा दृष्टो रहे . // 1000 // तमारे मार्गमां तेनथी मखु नहि, केमके हुँ तमारुं रहाण करीश, एम कहीने विसर्जन करेला तेन बन्नेए पोताना टोळमां श्रावी ते वृत्तांत सर्वने कह्यो. // 1 // त्यारे तेज | सघन हर्षथी कोलाहल करताथका जेवामां त्यांथी नपड्या तेवामां कोश्क तापसे आवीने तेन / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036432
Book TitleDhamil Charitra Bhashantar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1914
Total Pages205
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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