________________ 410 धम्मि| पकारिणीं // अथो रथोपरि न्यस्य / प्रातर्गबन् जुघोष सः॥ नए // शृएवंतु सुन्नटाः सर्वे / गर्वैः / माणाध्मातचेतसः // श्यामामादाय यात्येष / कर्मसादिणि सादिणि // ए०॥ यो युधे जुजकंमूलो / / यियासुर्यमसम यः // यो नवांबापयस्कामः / स मां यांतं निषेधतु / ए१ // एवं निजनुजस्था. | म / स्फोरयन् जटकोटिषु // केनाप्यरुष्प्रसरः // सुरश्रोतःप्रवाढवत् // 72 // निर्गतो नगरादडि| कंदरादिव केसरी // प्रपेदे वर्त्म सोऽवत्याः / कृत्वा दिग्देवतानति // 13 // त्रिनिर्विशेषकं / / नो. न करेलो मानवा लाग्यो. // 7 // पनी अति कामने शांत करनारी एवी ते श्यामदत्ताने, तथा परने माखामाटे उपयोगी एवी शस्त्रोनी श्रेणिने ते रथमां नाखीने प्रजाते जतोयको मोटेथी बोलवा लाग्यो के, // नए // गर्वथी नरेला मनवाळा हे सर्व सुनटो! तमो सांगलो? आ ह सू. येनी साक्षीए श्यामदत्ताने ले जानं बुं. // 50 // युधमाटे जेना हाय चळवळी रह्या होय. जे यमने घेर जवाने बतो होय, अथवा जेने नवी माताना स्तनपाननी श्वा होय ते मने जतो घटकावे. // 71 // एवी रीते क्रोडोगमे सुनटोनी वच्चे पोतानुं भुजावळ प्रगट करतोयको तथा दे. वगंगाना प्रवाहनीपेठे कोश्यी पण न अटकावाएलो, // ए५ // पर्वतनी गुफामांथी जेम केसरीः | P.P.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust