________________ धम्मि- बाला वदनिधामंत्र-ध्याननंगजयादिव // 15 // मंचको वचको हंस-तूलिका शूलिकायते // सार्थ | त्वां विनास्या दुकूलानि / कुकूलानिलवच्तुचे॥ 70 // तव स्तेनजयक्ष्माप–प्रसादप्रमुखं यशः॥ तत्रागसागरदोने / वह्निदिवायुतां गतं / / 71 // ईग्वियोगदावाग्मि-तप्तांगी तृप्तिहेतुभिः // स्वां. 400 कसंगमपीयूषै-स्तां तोषयितुमर्हसि // 72 // प्रहिताहं तया हंन / तवेति गदितुं प्रभो ॥पासि पौ. रानपायेन्यः / किं मामार्तामुपेदसे // 73 // श्रुत्वेत्यगलदत्तोऽवक् / किमिदं गदितं त्वया // पृ. नहि तेम पोतानी स्नेहयुक्त सखीजनी श्रेणिने पण बोलावती नथी. // 70 // वळी ताराविना | ढोली तेणीने गारो लागे , हंसरोमनी शय्या शूलीजेवी लागे , तथा रेशमी वस्त्रो बुना उष्ण वायुसरखां खेदकारक थर पड्यां . // 70 // वळी चोरनो. जय तथा राजानी कृपा प्रादिकथी नत्पन्न थयेलो तारो यश तेणीना रागरूपी समुद्रने नगळवामां अमिखूणाना वायुसरखो थ३ पड्यो बे. / / 71 // एवी रीते वियोगरूपी दावानलथी तपेलां शरीरवाळी एवी तेणीने शीतल करनारा तारा खोळाना संगरूपी अमृतथी तारे खुशी करवी जोश्ये. // 2 // हवे हे प्रभु! तने | भावी रीते कहेवामाटे तेणीए मने मोकलीने के तुं नगरना लोकोनुं तो दुःखोथी रक्षण करे .P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust