________________ ' सार्थ या धम्मि- / क्षमतां साधु साधुना // 55 // निःसपत्नमनोरत्न-स्तेनस्य तव लिप्सया // निशायामपि निद्रा / | या। नावकाशं ददाति सा // 76 // भेजे गर्ता न मां नक्ता–मिति त्वदनुवृत्तितः // विधा भ. | ते जनेऽने च / नास्थमृजुरियर्ति सा // 7 // प्रियं विना परः कोऽपि / मास्मन्मयि रागनः / / .07 | इति तांबूलमादत्ते / त्वदशा रागकन्न सा // // कुरुते स्नेहलामालि-मालामालापतो बहिः रे . // 7 // नवा हाथीसरखा बळवाला एवा तने हमेशां हृदयमां धारण करनारी ते अबला जाणे अति बोजाथी होय नहि तेम हालमा जे बळी पड़ी गने ते युक्तज . // 35 // ते णीना अमूल्य मनरूपी रत्ननो चोरसरखो एवो जे तुं, तेने पकमवानी श्वायी रात्रीए पण ते नि जाने अवकाश थापती नथी. // 76 / / मने नक्तने पण मारो स्वामी जोगवतो नथी, एम वि. चारी तारं अनुकरण करीने ते विचारी बन्ने रीते नक्त मनुष्यमां अने जक्त एटले जोजनलायक मानाजमां पण रुचि धरती नथी. // 9 // मारा प्रियतमविना माराप्रते बीजों कोश्पण रागवानो न था, एम विचारीने तने वश थयेली ते श्यामदत्ता राग (रंग) करनारुं तांबूल पण लेती नथी. // 70 // वळी ते बालिका तारा नामना मंत्रना ध्यानमां भंग परवाना मरथी जाणे होय / .P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust