________________ धाम्म- // 70 // तेनापि दत्तसंमाना / पृष्टाऽगमनकारणं // प्रणामं श्यामदत्तायाः / विझप्येति जगाद सां मा॥ 31 // यां विनांगो नीरजिनी / रजनी शशिनं विना // श्यामा श्यामानना स्वामि-स्त्वां वि. ना प्राप तां दशां // 12 // सांप्रतं सा नयनयो-निर्यदश्वोघदंजतः // जलांजलिमिवाशेष-सु. | खानां स्वब यति // 13 // अंतर्बलदियोगामि-ज्वालायोगादिवान्वहं // स्फुरति तन्मुखे शैत्यनिःखा निःश्वासपंक्तयः // 14 // त्वां वहंत्यक्ला नित्यं / नवनागवलं हृदा // अतिनारादिवाऽवाप - एक दिवसे श्यामदत्तानी संगमिका नामनी सखी संध्याकाळे दोषरहित तथा एकांते बे. ठेला ते अगलदत्तपासे यावी. // 70 // त्यारे तेणे पण तेणीने सन्मान आपीने याववानं का. रण पूज्यू, त्यारे ते पण श्यामदत्तानो प्रणाम कहीने बोली के, / / 71 // हे स्वामी! जलविना कमलिनी तथा चंडविना रात्री जे दशाने पामे ते दशाने ताराविना श्याम मुखवाळी ते श्याम दत्ता पामीने. // 12 // वळी हे स्वन! हाल तो ते अांखोमांथी निकलतां बांसुजना मिषयी णे सर्व सुखोने जलांजलि आपे . // 13 // हृदयमां बळता वियोगरूपी अमिनी ज्वालाना सं. | योगथी होय नहि जेम तेम हमेशां तेणीना मुखमांथी नष्ण निःश्वासोनी श्रेणिन निकल्या क .P.P.AC.Gunratnasuri.M.S, Jun Gun Aaradhak Trust