________________ धम्मि ईत महार्हतः // 65 // अनेन वस्तुजातस्य / नास्यं मुजापि नेदिता // बहारि हा निजं जन्म / गृधिग्रस्तेन केवलं // 66 // प्रस्थानमिव निर्मुक्त–मधोगतियियासुना / / न तत्र बजतानेन ।स. | हेदं जगृहे धनं // 67 // ध्यात्वेति भृनुजाहूतो। लोक कस्तदागतः / न्यासीकृतमिव प्राप / 401 खापतेयं निजं निजं // 60 // स्तुतोऽथ रथिकः पोरैः / पूजितः पृथिवीभुजा // अतीये दिवसान कांश्चित् / तत्रोत्सवमयानिव / / 67 // अन्यदा श्यामदत्तायाः / सखी संगमिकान्निधा // प्रदोषे मुक्तदोषं त-मुपेयाय रहःस्थितं // // 65 // या चोरें या सघली वस्तुन्नुं सील पण तोडेढं नथी, घरे! केवळ लोनने वश थइने तेणे पोतानो जन्म गुमाव्यो . // 66 // नीच गतिमा जवामाटे जाणे तेणे प्रस्थान मुक्यं होय नहि तेम तेणे त्यां जतांथकां आ धन साथे लीधुं नथी. // 67 // एम विचारीने राजाए बोलावेला लोको त्यां ते चोरने घेर अाव्या, तथा जाणे थापण राख्यु होय नहि तेम तेजए ते पोतपोतानुं धन ले लीधुं. // 67 // पड़ी नगरना लोकोथी प्रशंसा पामेला तथा राजथी पूजा। येला ते अगलदत्ते त्यां केटलाक उत्सवमय दिवसो व्यतित कर्या. // 6 // Jun Gun Aaradhak ikust PP.AC.Gunratnasuri M.S.