________________ धम्मि। प्रातर्जपसनां ययौ // 60 // निशावृत्तं मुखात्तस्य / निशम्य धरणीधवः / / तमेवं जातरोमांचः / / | स्तुतिव्रत वास्तुत // 61 // जुजतेऽन्ये धनं राज्ञः / कार्य त्वन्ये प्रकुर्वते // पूणां पादाः पिबत्यं. | बु / शाखास्तु ददते फलं / / 6 / / नेका गवंतु सोडेकाः / सरसीपरिशीलने // एक एव पुनर्वत्ते / हंसस्तत्रावतंसतां // 63 // ततस्तों नगिनीकृत्य / वनितामवनिप्रनुः // सहितोऽगलदत्तेन / स्तेनसद्म तदा ययौ / / 64 // वीक्ष्य वस्तु यथावई / गर्भगेहगतं नृपः // दुष्टचौरस्य दुर्वृत्त-ममतीज साथे लेश्ने प्रजाते राजानी सजामां श्राव्यो. // 60 // पनी तेना मुखथी रात्रिनो वृत्तांत सांजलीने रोमांचित थयेलो राजा बंदीनीपेचे तेनी स्तुति करवा लाग्यो के, // 61 // राजानुं ध. न बीजा खाय , अने कार्य तो बीजा करे , केमके वृदोनां मूलीयां पाणी पीये , अने शा. “खान फल आपे . // 6 // तळावमां गम्मत करवामाटे देडकां जाले कुद्याज करो..परंतु ते तलावनी शोना तो एक हंसज धारण करे . / / 63 // परी ते चोरनी बहेनने पोतानी बहेनरूप | गणीने राजा अगलदत्तसहित ते चोरने घेर गयो. // 64 // त्यां ते दुष्ट चोरनां भोयरानी अंदर / राजाए शीलबंध सर्व वस्तु तपासीने पोते जैनी होवाथी तेना दुराचारमाटे विचारखा लाग्यो के, P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust