________________ 30 धम्मि-| स्तोकं / पातालोकः प्रवेश्य तं // प्रथयामास वितथं / स्नेहं मायेव देहिनी // 36 // अहो नाग्यं / मा ममापूर्व / यत्त्वं दृक्सुखदोऽनवः // इत्यूचुषी ददौ नत्या-नवमा नवमासनं // 37 // तस्मिन्नास नगे पादौ प्रदाव्य वखारिणा // पट्यंकं वेश्मकोणे सा / विततान वितानयुक / / 37 // योजितांजलिरत्येत्य / सा तमेवं व्यजिझपत // पापैः स्वैरेव मे जाता / हतः किं तव दूषणं // 30 // | श्यं वातार्जिता लक्ष्मी-स्तत्तद्भोगनिबंधनं // इदं च सदनं तस्य / देवानामपि दुर्गमं // 40 // ने भोयरामां ले जश्ने ते कपटमूर्ति तेनाप्रते जूठो स्नेह विस्तारवा लागी. // 36 // अहो ! मा. अपूर्व जाग्य जणाय , के जेथी मने आपनुं दर्शन थयुं ने, एम कहीने तेणीए अतिनक्तिथी तेने ( बेसवामाटे ) एक नवु थासन पाप्यु. // 37 // पनी ते ज्यारे श्रासनपर बेठो त्यारे निर्मल जलथी तेना पग धोश्ने तेणीए घरना खुणामां एक छत्रीपलंग बीगव्यो. // 30 // पजी ते तेनीपासे भावी हाथ जोडीने विनंति करवा लागी के पोताना पापोथीज मारो नाइहणायो बे, तेमां तमारो शुं दोष ? // 35 // ते ते नोगोना साधनरूप aa मारा नाश्नी मेळवेली लक्ष्मी ने. अने देवोने पण दुर्गम एq था तेनुं घर . // 40 // हे स्वामी! था सघg हवेधी Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.