________________ 3 धम्मि- स्वीकृत्य चाखिलां // तत्र स्थेयानिज धामा-निगम्यादा यथारुचि // 31 // प्राणैरेवं वदन्नेव / / मार्ग चौरः सपदि तत्यजे // रथी तत्वज्यादाया-ऽचलत्तदुदिताध्वना / / 3 / / सुतनोरतनोबद्धं / प्राप्य तन्मंदिरं पुरः॥ तं श्रुत्वा निर्ययौ सेंदु-वदना सदनांतरात् // 33 // स वीदय तारतारुण्यां / ता| मरण्य निवासिनी // श्रागानागांगनेयं किं / नुवं नित्वेति दध्यिवान् // 34 // तेनाथ दर्शिते खके / बुध्ध्या बंधुवधं सुधीः // सा दणं सादिणं कृत्वा-त्मानमेव शुचं दधौ // 35 // निगृह्य शोकमअथवा पोताने घेर जजे. // 31 // एम बोलतोथकोज ते चोर तुरत प्राणरहित थयो, अने अगवदत्त पण तेनी तलवार लेख्ने तेणे कहेला मार्गे चाव्यो. // 3 // पनी तेना घर बागल या. वीने तेणे तेनी बहेनने हांक मारी, ते सांजलीने चंडसरखा मुखवाळी ते तरुणी पण घरमांथी बहार थावी. // 33 // अति तरुण वयवाळी थने वनमा रहेनारी एवी तेणीने जोश्ने भालदत्ते विचार्य के शुं पृथ्वी नेदीने था नागकन्या यहीं यावी ? // 34 // परी तेणे तलवार देखा. ड्याथी ते चतुर तरुणीए पोताना बंधुनो वध थयेलो जाणीने क्षणवारसुधी पोताना यात्मानी | सादीएज शोक धारण कर्यो. // 35 // पोताना ते अतिशोकने बुपो राखीने तथा ते अगलदत्तः | P.P.AC.Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust