________________ धम्मि- रथिकांगजं // परिबाट् स्माह वत्साजवां / गावोऽस्याः पुरोंतरा // 3 // अद्य चौरो मयापीति / प्री| तिनाजाऽविशत्पुरीं / / स स्तेनोऽगलदत्तेनो-पेतः प्रेतेशनीषणः // 4 // श्रीवत्सानुकृतिदात्रं / क. स्यापि श्रीमतो गृहे // स दत्वा तन्मुखे वीर-ममुंचदंचनाचणः // 5 // विलेनाखुखि दात्र-वर्म३९५ नांतः प्रविश्य सः // नूयसीः स्वर्णरत्नादि-पेटाः प्राचीकटद् बहिः // 6 // तमाशु स्तुकामोऽपि / कोपमश्लथयज्थी॥ निःकृपस्यास्य पश्यामि / निष्टामिति लसन्मतिः // 7 // वाहीकानानये यावथियारो कहाडीने अगलदत्तने को के हे वत्स! चाल हवे आपणे था नगरनी अंदर जाये. // 3 // थाजे हवे मने चोर मख्यो , एम खुशी थता ते अगलदत्तसहित यमसरखा ते जयंकर परिवाजके नगरनी अंदर प्रवेश को. // 4 // पनी ते धूर्तशिरोमणि परिवाजके कोक श्री. मंतना घरमा श्रीवत्ससरखं चोखंडं बाकोरु पामीने त्यां ते बाकोरांना मुख बागल अगलदत्तने बेसाड्यो. // 5 // पनी बिलमां जेम नंदर तेम ते बाकोरांवाटे अंदर जश्ने तेणे स्वर्ण तथा ज. वाहीरनी घणीक पेटीन बहार कहामी. // 6 // ते वखतेज अगलदत्त तेने मारवानी बावाळो | थया बतां था निर्दयतुं रहेगण आदिक मारे जोवु जोश्ये, एवी बुद्धि थवाथी तेणे पोतानो / PP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust