________________ सार्थ / धम्मि- या // 5 // एवं चिंतास रिवीचि वर्षितखांतवापलः // सप्तमेऽह्नि विकालेऽसौ / निरगानगराद् बहिः // 6 // स्थितः स तस्करं लिप्सु-मलपीवरचीवरः // मरुचलद्दलश्रेणे-स्तत्र चूततरोस्तले | / / वामहस्तस्फुरदंडो / वांउन्निव यमोपमां / / दंडोव चीरिकां विव्र-ध्वजवदुरितौकसि 30 // // जपमालापरावर्त / कुर्वन दक्षिणपाणिना // अमुष्यंत दितौ हंत / कतीति गणयन्निव / / // 7 // बधुं नरतिमीन जाल-मिव कंथां वहन् गले // अव्यक्तं चालयनोष्टौ / चौर्य विद्यां जडशे, अथवा तो कोश् वनमां जश् वसवू पमशे, केमके प्रतिझाभंग थवाथी माराथी बहीं रही शकाशे नहि. // 5 // एवी रीते चिंतारूपी नदीना मोजांथी वृद्धि पामेल ने हृदयनी चपलता जेनी एवो ते अगलदत्त सातमे दिवसे संध्याकाळे नगरनी बहार गयो. // 6 // त्यां ते मलयु क्त कपडां पहेरीने पवनथी चालती ने पांदमांजनी श्रेणि जेनी एवा एक आंबाना वृक्षानीचे चो. रने मेळववानी श्बाथी बेठगे. // 7 // एवामां तेणे जाणे यमनी नपमा श्वतो होय नहि तेम 'मावा हाथमां पकडेला दंडवाळो, अने पापना घरपर रहेली धजानीपेठे दंडपर लटकेलां चीथसं. | वाळो, // 7 // अरे या पृथ्वीपर में केटलाने बुंट्या जे ? एम जाणे गणतो होय नहि तेम ज P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust