________________ धमि- भौतिका जागवता-श्चरका लिंगिनस्तथा // कापालिकाः कार्पटिकाः / सोऽजुत्तेषु विशेषटकं / / // 1 // चौरं पश्यन्ननालस्य-मतीये पम् दिनानि सः // न तु तं पाप संताप-पूरितश्चेत्यचिंतय| त // 2 // एकतो भूपतेरो / प्रतिझातं सुदुष्करं // धन्यतस्त्वरितं यांति / जंघाला व वासराः 377 // 3 // चौरश्चेलप्स्यते नासौ / नव्यं चौरेण तन्मया // जनदृग्परिहारार्थ / दिवागतिनिषेधतः // 4 // गंतव्यं वा विदेशेषु / वस्तव्यं वा वने क्वचित् // न तूत्सृष्टप्रतिज्ञेन / स्थेयमत्र पुरे म. अांखोथी लोकोना समुहने जोतो जोतो ते हुशियार अगलदत्त घणा वखतसुधी चोरना लक्षणों जोवा लाग्यो. // 70 // वळी ते नौतिक, नागवत, चरक, लिंगी, कापालिक तथा कापमीनने विशेष प्रकारे जोवा लाग्यो. / / 71 // एवी रीते खूब हुशियारीथी चोरनी तपास करतां छ दिव. सो तो व्यतीत थया, परंतु चोर न मलवाथी ते खेदित थश्ने विचारखा लाग्यो के, // 2 // एक तो राजानीपासे जेमाटे प्रतिज्ञा करी ते कार्य दुष्कर बे, घने बीजी बाजु दिवसो एकदम नतावळथी चाल्या जाय . // 3 // वळी जो था चोर नहि मले तो माणसोनी नजर चूकाव. वामाटे दिवसे गमन नहि करवाथी मारेज चोर थर्बु पडशे. // // अथवा परदेशमा जप ! P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust