________________ धम्मि- ऽगलदत्तो नरेश्वरं / होनारनतमूर्बानो / विमुच्यताममी प्रनो // 76 // यद्यादिशसि जुनेतनश्चेतसा प्रगुणेन मां // तदाहमंतः सप्ताह-मानये चौरनायकं // 7 // दुःकरं सुकरं वेति / न चिंता दिप्ततेजसां॥ विद्युमोलः पतन्नौ / तृणे वा न हि निन्नधीः // 7 // / अथ प्राप्य नृपादेशं / चौरप्राप्तिपरायणः // गंजाप्रपापुरात-सत्रशालासु सोऽघ्रमत् // 7 // दर्श दर्श जनवातं / साचीकृतविलोचनः // श्दांचक्रे चिरं चौर-लदणानि विचक्षणः // 70 // ये वाच थया. // 75 // हवे ते समये अवसर मलवाथी अगलदत्ते राजाने कयु के हे स्वामी! ल. काना नारथी नमेला मस्तकवाळा या पोलीस अमलदारोने या कार्यथी मुक्त करो? // 16 // वळी हे स्वामी! जो आप खरा दिलथी मने फरमावो तो हुं ते चोरोना नायकने सात दिवसनी अंदर लावी आपुं. // 7 ॥श्रा कठीन डे के सहेडं बे, एवी चिंता महापराक्रमीने होती न. थी, केमके पर्वत अथवा घासपर पडता वीजळीना गोळानो कई जुदो प्रकार होतो नथी. // 7 // . हवे राजानें फरमान मेलवीने चोरनी शोधमाटे तैयार थयेलो ते अगलदत्त मदिराशाला, | परब, नगरमा रहेला जुगारखानां तथा सदावतना स्थानोमां नमवा लाग्यो. // 7 // वळी तीरजी / PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust