________________ धम्मि- वजनीकुरु // 12 // स-द्विधा श्रमण श्राध-व्रतन्नेदाज्जिनैः स्मृतः // तत्राद्यो ध्रियते धीरे- वैः क्की वैस्तथेतरः / // 23 // आनंदः स्फुरदानंद-मंदीनृतमनोव्यथः / / अथ तत्प्रथमं भेजे / श्राधधर्म स धीरधीः // // 55 // बधमर्त्यनवायुष्कः / पूर्व नऽकन्नावतः // पश्चात्प्रपालितश्राध-धर्मः काले व्यपादि सः // 55 // पुरेऽत्र हरिषेणस्य / राज्ञः सोऽहं सुतोऽभवं // जितशत्रुरिति ख्यातः / पुण्यैः किं नाम वियोगवाळो.नथी थतो? // 51 // माटे अनेकांत अने चपळ एवा स्वजनोना समुहने गेडीने फक्त एक आत्यंतिक बने निश्चल एवा धर्मनेज पोताना खजनरूप कर? // 5 // ते धर्म साधुबने श्रावकना व्रतना नेदथी बे प्रकारनो जिनेश्वरोए कहेलो , तेमां पहेलो धीर मनुष्यो तथा बीजो कायर मनुष्यो धारण करे . // 53 // हवे आनंद थवाथी जंबु थये. ल मननु दुःख जेनुं एवा ते बुध्विान यानंदे प्रथम श्रावकधर्म अंगीकार को. // 54 // पूर्वे नदकपरिणामथी मनुष्यनवनुं आयुष्य बांधीने पाउलथी श्रावकधर्म पाळीने केटलेक काळे ते म. का रण पाम्यो. // 55 // ते आनंदनो जीव था हुं या नगरमा हरिषेण राजानो जितशत्रु नामनो Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.