________________ धम्मि। तांगः क्वापि वारिणि // स्वमालोकत सायं / निर्मोकमिव पन्नगं // 30 // केनाप्यलक्षितः पर्णमाय वाटं निश्येव सोऽगमत् // तत्स्वामिना च कल्याण / कोऽसि त्वमिति जाषितः // 30 // दीनास्ये. | नादितः स्वीयो-दंते तेन निवेदिते // कृपाबुमत्रिपुत्रं स / रहः स्वगृहमानयत् // 40 // सुपर्णा| दुरगः सिंहा-मृगश्चौरादिवाध्वगः // गुप्तचारी नृपादीत-स्तस्थौ तत्र सुखेन सः // 41 // पु. | पीने बुपाश रह्यो हतो. // 37 // पनी रात्रिए तेमांथी निकलीने क्यांक जळमां पोतानं शरीर धोयाबाद ते पोताने कांचळी विनाना सर्पनी पेठे नीरोगी शरीवालो जोवा लाग्यो. // 3 // पनी त्यांथी कोश्नी नजरे पड्याविना गुप्त रीते रात्रिनी अंदरज ते एक खलावाममां गयो, त्यारे ते खटावामना मालिके तेने पूज्यु के हे कल्याण! तु कोण ? // 35 // त्यारे तेणे पण दयामणे चहेरे पोतानो वृत्तांत पहेलेथी तेनी बागल निवेदन कर्यो, त्यारे ते दया लावीने ते मंत्रि. पुत्रने गुप्त रीते पोताने घेर तेमी लान्यो. // 40 // गरुमथी जेम सर्प, सिंहथी जेम हरिण तथा चोरथी जेम पंथी तेम राजाथी डरेतो ते मंत्रिपुत्र त्यां सुखेथी गुप्तपणे रह्यो. // 41 // हवे ए. | क दिवसे पवित्र शरीरवाळा, धर्मरूपी रथनी धुरासरखा, जर्गतिमां जवाने अटकाववामाटे मजबूत / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust