________________ धम्मि- छीमान दुतः समाययौ // 17 // दूतः स्वस्वामिनः कार्य / राज्ञे तस्मै निवेद्य सः // नत्तस्थौ ख ब्धसन्मानः / सदसः सह मंत्रिणा // 15 // दूतं समग्रराजन्य-शुधिप्रापणलमकं / / चकार चरि सत्कार-पात्रं मंत्री स्ववेश्मनि // 20 // ददृशे तत्र दुर्गंध-देहो गेहोदरे स्थितः // नत्थून श्व .. 314 | मंकः / कूपांतस्तेन मंत्रिसूः // 21 // कोऽयमंतः परो लद-मदिकाहृदयंगमः // इति पृष्टोऽमुना मंत्री। प्रोचे बाष्पायतेदाणः // 12 // किं वच्मि मंदजाग्योऽहं / यौवनेऽसौ ममांगजः / / फलस्य गड्यो नहि // 17 // एक वखते ज्यारे मंत्री राजस नामां बेठो , तेवामां यवनोपयी एक वे. गवाो बुद्धिवान दूत त्यां यायो. // 17 // ते दूत पोताना राजानुं कार्य ते राजाने कहीने त. था यादरमान मेलवीने मंत्रीसहित सगामाथी उठ्यो. // 15 // सर्व राजाननी खबरअंतर जा. गुनारा ते दूतने मंत्रीए पोताने घेर लेश् जश्ने तेनो घणो आदरसत्कार को. // 20 // त्यां ते. णे जरमामा रहेलो दुर्गध शरीरवाळो ते मंत्रिपुत्र कुवामा रहेला देडकांनीपेठे नळनो जोयो. // 21 // लाखो गमे माखोने प्रिय थ पड़ेलो या कोण जे-? एम ते दूते पूछवायी मंत्री यां| खोमां बांसु लावी बोल्यो के, // 25 // शुं कहुं हुं मंद नाग्यवाळो , केमके फलसमये जेम P.P.Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust