________________ धम्मि- सु निष्णाताः / कयमस्मादृशाः पुनः // // किं तवाजीविकामात्र-कलया कलयानया / ममोसार्थ | त्तमकलान्यासं / शृणु लोकहये हितं // 10 // . इहैव पुरि कौशांब्यां / हरिषेणोऽनवन्नृपः // पद्मेव पद्मनागस्य / प्रेयसी तस्य धारिणी // 372 // 11 // सुबुधिः सचिवस्तस्य / मतिव्रततिमंडपः // सिंहला स्नेहलालाप-सारणिस्तस्य बसना // / // 12 // थानंद स्वजनानंद-कारणं ननयस्तयोः / सखजे प्राप्ततारुण्यो / व्याधिना त्वविरोधि जालांनी अणीपर रहेला सुरमावडे आंखमां अंजन करवाथी शुं हर्ष थाय ? // // राजा बो. ब्यो के तारी कलाथी कलाविनाना माणसो जे खुश थाय ने ते युक्तज जे. परंतु पोतेज कला जमां निपुण एवा अमों केम खुशी थश्ये ? // 7 // फक्त श्राजीविकामाटे मनोहर एवो या ता. री कलावडे शुं थवानुं जे? बन्ने लोकोमां हितकारी एवो मारो नत्तम कलान्यास तुं सांजळ ? // 10 // - बाज कोशांबी नगरीमां हरिषेण नामे राजा हतो, तेने विष्णुने जेम लक्ष्मी तेम धारिणी नामे राणी हती. // 11 // ते राजाने बुद्धिरूपी वेलडीना मंझपसरखो सुबुधि नामे मंत्री हतो, तथा ते मंत्रीनी स्नेहयुक्त वचनोनी नहेरमरखी सिंहला नामे स्त्री हती. // 12 // तेजने स्वजनो. P.P.AC.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak, Trust