________________ साथ। धम्मि- // 4 // धनेन धीर कार्य चे-तद्याचस्व यधारुचि // याशानंग न कस्यापि / कुर्मो जैना दयाल वः॥ 5 // सोऽप्यूचे किमहं निकु-र्यत्वत्तः कामये धनं // धनश्रेणीस्तृणीयंति / यशस्कामा दि मानिनः // 6 // प्रियालापेऽपि दारिद्यं / यस्य किं वा स दास्यति // वृया फलाशा पांथानां / ग. 371 यासंशयिनि जुमे // 7 // दत्तं वा प्रियवागहीनं / दानं कांदति कः सुवीः / / कुंताग्रस्थसिताबेणां -जनं किं स्याद् दृशोर्मुदे // 7 // भूपोऽवग निष्कला युक्तं / माद्यंति कलया तव // स्वयं कलाकेमके प्रायें करीने घणा माणसो नदरपूर्तिमाटे आवी चेष्टा करे . // 4 // वळी हे धीर! जो तारे धननुं प्रयोजन होय तो तुं तारी मरजीमुजब मागी ले, केमके अमो जैनो दयालु होवाथी कोश्नी पण याशानो भंग करता नथी. // 5 // त्यारे अगलदत्त पण बोल्यो के शुं हुं निकुक बं? के तमारा पासेथी धन मागु, केमके यशनी डावाळा मानो मागतो धननी श्रेणिने तृणम. मान गणे . // 6 // वळी मिष्ट वचन बोलवामां पण जेने कृपणता ने ते वळी शुं श्रापशे? के. मके जे वृक्ष गया पण देश् शकतुं नथी, तेनी पासेयी पंथीनए फलनी पाशा करवी फोकटने // 7 // अथवा मिष्ट वचनविना थापेलां दानने कयो सुबुछि माणस लेवानी श्ला करे? केमके P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust