________________ 360 धम्मि- णोत्तीर्णामसिलता-मसौ वियति नर्तयन् // अननेविद्युदारेक-मकांडे निर्ममे नृणां / / 55 // / मा चकासे चतुरश्चक्रं / चालयनेकपाणिना / / चिरं चरटचक्रस्य / चालनां सूचयन्निव / / 76 // सोऽ. दनं ब्रमयन लौहं / मुरं वेगतोऽजितः // यतपूर्व पार्षद्यान / जयदोजमशिदयत् // // दं तांडवयंश्चक्रे / दृष्ट्टणामिति संत्रमं / / युगपज्जगती जग्धुं / यमः किमयमाययौ / / एG // तयोल | लास शस्त्रे स / मुक्तामुक्तोजयात्मके // यथासन जरसीका / निर्मदाः सुनटाः परे // 5 ॥ये. | जेली तलवार नचावतोथको अकाळे वादळविना पण लोकोने विजळीना चमकाराजेवु देखाडवा लाग्यो. // 55 // पंजी ते चतुर सुट एक हाथे चक्र जमावबोथको घणा काळसुधी जाणे कं जारना चत्रनुं चालवु सूचवतो होय नहिं तेम शोजवा लाग्यो. // ए६ // वळी ते अटकावरहित लोखमनुं मुद्गर वेगथी चारे बाजु नमावतोयको सनासदोने अगान कदी न थयेलो एवो जय'नो दोन उपजाववा लाग्यो. // 7 // पनी ते दंम नगलोयको जोनारानने एवो जय पमा डवा लाग्यो के शुं एकी वखते जगतने खावामाटे या यम श्रावेलो ? // 7 // पनी ते म.. | केला अने नहि मुकेलां एम बन्ने प्रकारनां शस्त्रोमां एवी तो स्फुर्ति देखावा लाग्यो के जेगी। P.P.AC.Gupratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust