________________ धम्मि- ज्ञातोऽय गुरुणा / पुरस्कृत्य तमेव सः॥ गतः सदसि चूनाथ-मनमनमनोवितं // 50 // कोऽ५ मा यमैदंयुगीनेषु / जनेषु परजागाजार // इति पृष्टो नृपेणोचे / तत्कुलाचं कलागुरुः // 11 // कां चित्कलामिलागर्तु-दर्शयेति गुरोगिरा // सोऽबनान्मल्लवदीर-वरः परिकरं दृढं // 55 // प्रशस्तलस्तकन्यस्त-हस्तः स धनुषो गुणं // ध्वनयंस्तत्प्रनिध्वानः / सनारंधांण्यदिध्वनत् // 3 ॥सं. स्थानपूर्वमिश्वास-मुक्तेष्वासशरव्यकं // अविध्यच्चापलं चेतो / योगीव सुगुरोगिरा // 4 // शा. देवाथी तेनेज अगामी करीने ते राजसहामा गयो, तथा ते नमवालायक राजाने नम्यो. // 50 // या काळना मनुष्योमा उत्कृष्ट भाग्यशालीसरखो आ वली कोण . ? एम राजाए पूज्याथी क. लागुरुए ते अगलदत्तनुं कुल आदिक निवेदन कर्यु / / 71 // हवे राजाने तारी कईक कला दे| खाड ? एम गुरुए कहेवायी ते महासुन्टे मल्लनोपेठे मजबूत कागे बांध्यो. // 7 // मनोहर कामगंपर हाथ राखीने धनुषनी दोरीनो अवाज करतोथको ते तेना पमघाथी सजानां द्वारोने पण अवाज कराववा लाग्यो. // 3 // गुरुना वचनयी बरोबर चीत्रीने धनुषमाथी गेडेलां बाण. ::| थी योगी जेम मनने तेम तेणें तुरत एंधाणने वींधी नाख्यु. // 4 // पनी ते आकाशमां स.. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust