________________ धम्मि- य्य शपथैरसौ // तत्सौंदर्योदधौ मीन-मनाः स्वस्थानमीयिवाद / / 76 // तानुकीर्णामिव स्यूता | -मिव लीनामिवान्वहं // वहन् हृदि व्यलंघिष्ट / कतिचिहासरानयं // 7 // धाम विद्यामयं वि. प्र-दुधृत्तमिव वर्मणः // अन्यदा सुगुरोः पादौ / प्रणम्येति व्यजिझपत // 7 // अनुमन्यस्व | मां राज्ञः / पुरः स्फारयितुं कलां / / कला अगुप्तरूपा हि / रूपाजीवा श्व श्रिये // 7 // अनु. तावळ कर नहि, ज्यारे हं नायिनी जश्श त्यारे तने साथे लेतो जश्श. // 5 // एवी रीते एक मनवाळी एवी तेणीने सोगनपूर्वक केलेक प्रयासे प्रतीति करावीने तेणीना सौंदर्यरूपी स. मुडमां मत्स्यसरखां मनवाळो ते अगलदत्त पोताने स्थानके गयो. // 6 // जाणे कोतरेली, सी. वेली अथवा लीन थयेली होय नहि एम हमेशां तेणीने हृदयमा धारण करता एवा ते अगलदत्ते केटलाक दिवसो व्यतीत कर्या. // 7 // शरीरमांथी जाणे धरी कहाडयुं होय नहि एवां विद्यामय तेजने धारण करतो एवो ते अमलदत्त एक दिवसे गुरुने चरणे नमीने विनंति करवा लाग्यो के, // 7 // हे गुरु ! हवे मारी कला राजापासे देखामवामाटे मने थाझा पापो ? के. .. - | मके वेश्यानीपेठे प्रसिधिमां यावेली कला लक्ष्मी देनारी थाय जे. // ७ए / पजी गुरुए अनुका ) Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S. .