________________ धम्मि- रेतत्कस्मै न रोचते // परिणेया परं राज-कन्या मे वणिजः कथ // 15 // क कल्पवल्ली क तृणं / कमणिः क च कर्करः / / क राजहंसी क बकः / क करेणुः क बर्करः // 20 // क पद्मिनी क साथै | | मंरकः / व लक्ष्मीः क्व च दुर्गतः // क सा पृथ्वीपतेः पुत्री / क चाहं प्राकृतो जुवि // 21 // म 553 योचे वत्स कोऽयं ते / विचारश्वतुरोचितः / कः कामधेनुमायांती-मयोग्योऽस्मीति दूरयेत् // 12 // | अवदघम्मिलो मात-र्युक्तमुक्तमिदं त्वया // किंतु स्वपितरौ पृष्ट्वा / दारकर्मोचितं मम // 3 // बोब्यो के हे माताजी! या वात कोने न रुचे? परंतु हुं वणिकपुत्र राजकन्याने शीरीते परणी शकुं? // 17 // केमके क्यां कल्पवेली बने क्यां घास? क्यां मणि अने क्यां कांकरो? क्यां रा. जहंसी अने क्यां बगलो? क्यां हाथणी अने क्यां बकरो? // 20 // क्यां कमलिनी बने क्या देडको? क्यां लक्ष्मी अने क्यां दरिडी? तेम क्यां गजानी पुत्री बने क्या हुं था पृथ्वीपरनो पामर मनुष्य ? // 21 // त्यारे में तेने कह्यु के हे वत्स! तुं वळी था महापणमायानीपेठे शं विचार करे ? केमके हुं अयोग्य बुं एम कही यावती कामधेनुने कोण निवारे? // 25 // त्यारे ध. म्मिल बोल्यो के हे माताजी! तमो था युक्तज कहो बगे, परंतु मारा मातपिताने पूजीने मारे | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust