________________ धम्मि- जागेव साध्यते // पुनर्जावपरावर्ती / मास्याचुच्चलचेतसः // 14 // नमुक्त्वाहं गता तत्र / पुरुषं सार्थ | तमन्नाणिषं // रूपश्रीकेश कोऽसि त्वं / कस्य वा तनयो वद // 15 // सदृश्यकुंदकलिका–क. लिकारिरदोऽवदत् // पुत्रः समुद्रदत्तस्य / श्रेष्टिनो धम्मिलोऽस्म्यहं / / 16 // अहं पुनरखोचं तं / वत्स त्वं पुण्यवानसि // यदेषां नृषु सर्वेषा / त्वय्यरज्यन्नृपांगजा // 17 // सौनागिनेय तदिमामुदूह्य स्नेहनिर्भरां // बुंपख विश्वविश्वस्थ-पुंसां सुनगतामदं // 17 // ततः सोऽनिदधे मातकार्य जलदी साधी लेवू जोश्ये, केमके या मारी पुत्रीनू चपल चित्त पाबु फरी न जाय तो सा. रं. // 14 // एम विचारीक ने एम कहीने में ते पुरुषपासे जश्ने तेने कहूं के हे रूपश्रीप्रते विष्णुसरखा! तुं कोण ? तथा कोनो पुत्र जे? ते कहे ? // 15 // मनोहर डोलरनी कळीनने पण जीतनारा दांतोवाळो ते पुरुष बोल्यो के हुँ समुद्रदत्तशेठनो धम्मिल नामे पुत्र बु. // 16 // सारे फरीने में तेने कह्यु के हे वत्स ! तुं पुण्यवान जो, केमके पुरुषोपते द्वेषवाळी एवी पण या राजकन्या ताराप्रते रागवाळी थयेली . // 17 // माटे हे सौजाग्यवान ! स्नेहथी नरेली आ रा. जकन्याने परणीने तुं समस्त जगतना पुरुषोना सौनाग्यपणानो मद दूर कर? // 17 // त्यारे ते P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust